Friday, August 18, 2017

फार्मेसी एक्ट का उल्लघन कर अध्यक्ष मनोनीत किया



बीस वर्ष से लोकतांत्रिक पद्धती से फार्मेसी कौन्सिल के चुनाव नहीं
TOC NEWS // राधेश्याम अग्रवाल
भोपाल 18 अगस्त 2017
प्रदेश सरकार ने मध्यप्रदेश स्टेट फार्मेसी कौन्सिल के संविधान(एक्ट) में हस्तक्षेप करते हुए सीधे अध्यक्ष सहित पांच सदस्यों के कौन्सिल का सदस्य नामित कर लिया है। दूसरी और फार्मेसी कौन्सिल की निर्वाचित पदाधिकारियों के चुनाव पिछले 14 वर्ष से नहीं हुए है यहाॅ तक कि उच्च न्यायालय जबलपुर खण्ड़पीठ ने चुनाव को लेकर स्थगन दे रखा है कौन्सिल ने अभी तक चुनाव कराना और मतदाता सूची का प्रकाशन तक नहीं कराया है।

राजनैतिक दबाव वश में म.प्र.में ड्रग माफिया हावी है और उसके चलते राज्य सरकार ने गत दिनों पुनः वही किया जो कांग्रेस शासन के समय से इस कौन्सिल में होता चला आया है।

स्टेट फार्मेसी कौन्सिल एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसमें सदस्यों के साथ अध्यक्ष भी सीधे नामित किया जाए यह गैर वैद्यानिक है।
उज्जैन के नखोड़ा मेडिकल स्टोर के मालिक ओमप्रकाश जैन जिनका की फार्मेसी कौन्सिल में पंजीयन अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर है अन्य चार लोग वही पूर्व के है जो बीस वर्षो से इस कौन्सिल पर कब्जा किए है।


फार्मेसी अधिनियम 1948 की धारा 19वीं में ऐसा किसी भी तरह का प्रावधान नही है। उल्लेखनीय है कि 50 हजार से अधिक डिग्री डिप्लोमा एवं ट्रैनिंग प्राप्त कम्पाउण्डर इस  कौन्सिल में रजिस्र्टड़ है बाकी मात्र 6000 ऐसे रजिस्र्टड़ सदस्य है जो कि अनुभव के आधार आठवीं एवं पांचवीं उर्तीण पर कौन्सिल में रजिस्ट्रेशन कराए हुए है।

ड्रग कन्ट्रोलर के द्वारा रजिस्र्टड़ फार्मेसिस्ट को लायसेंस जारी किए जाते है पूरे प्रदेश में इस आड़ में ड्रग लायसेंस का फर्जीवाड़ा चल रहा है यहाॅ तक कि जो मृत हो चुके फार्मेसिस्टों के नाम से मेडिकल स्टोर संचालित हो रहे है। प्रदेश का ड्रग कन्ट्रोलर आॅख मूंदकर यह सब कृत्य करा रहा है। जनता को दी जाने वाली जीवनोपयोगी दवायों के साथ खिलवाड़ हो रहा है।

एक और गौरतलब बात यह है कि एक माह पूर्व भाप्र.स सेवा के अधिकारी श्री हरिसिंह मीना आर.आर.95 को पदस्थ किया गया था जिन्होनंे 17 अगस्त को आदेश जारी कराकर अपना बिस्तर बांधकर मुख्य कार्यपालन यंत्री जिला पंचायत दमोह के पदस्शी आदेश जारी करा लिए है इनके स्थान पर किसी की पदस्थापना नहीं की गई है और कौन्सिल अब बावूओं के भरौसे हो गई है।

मध्यप्रदेश जनसंपर्क की कारस्तानी का पूरा काला चिट्ठा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को सौपेंगे आज

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*क्या आपकी वेबसाइट को दिया जनसंपर्क ने दिया लाखों रुपए के विज्ञापन, नहीं तो क्यों ?*

*भोपाल. मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग में वेबसाइट पोर्टलों में प्रचार प्रसार के नाम पर करीब 150 करोड़ रुपए की मनमानी तरीके सेे परिचितों और करीबियों और एक ही परिवार के कई लोगों को लाखों करोड़ों रुपए का विज्ञापन बाटकर भारी भ्रष्टाचार किया है. इस बंदरबाट में जनसंपर्क के अधिकारियों ने मोटी मलाई भी खाई।*

विशेष सूत्रों ने बताया कि विभाग में मनमानी कर अपनी मनमर्जी से राज्य शासन की नियम के प्रावधानों के विपरीत मात्र कुछ गिनेचुने लोगों के बीच ही ये खेल खेला गया है। अपने चहेतों को खुश करने के लिए समानता से विज्ञापन नहीं दिए एक ही मालिक की कई वेबसाइट चैनलों को विज्ञापन जारी किए और धड़ाधड़ उनके भुगतान भी कर दिया गए।

पीड़ित सूत्रो का कहना है कि जनसंपर्क विभाग विज्ञापन कर्ताओं को नियमित मिलने वाले विज्ञापनों की राशि में कटौती कर देता है और बजट का रोना रोता रहता है वही मोटी राशि के विज्ञापन देने पर उनको बजट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

जनसंपर्क की मनमानी के कई उदाहरण सामने हैं जो विवाद के कारण बने हुए हैं कई ऐसी वेबसाइट हैं खबरों से कोई वास्ता नहीं वह सिर्फ माल कमाने के लिए अपनी व्यवस्थाओं को संचालित कर रहे हैं जिसका लाभ जनसंपर्क विभाग से नियमित उठा रहे हैं एक वेबसाइट जो पिछले दिनों भी विवाद में रही "MP डॉक्टर डॉट कॉम" वेबसाइट को जनसंपर्क विभाग ने 10 लाख रूपये के विज्ञापन जारी किए और अभी भी नियमित जारी किये जा रहे है। क्या आपकी वेबसाइट को दिया जनसंपर्क ने दिया लाखों रुपए के विज्ञापन, नहीं तो क्यों ?

अभी जब मध्यप्रदेश की समीक्षा के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह राजधानी भोपाल में पधारे हुए हैं यह पूरी जानकारी से उनको अवगत कराना जरुरी है।

प्रतिदिन जारी

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का यह कैसा स्वागत ?


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भोपाल 18 अगस्त 2017, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के भोपाल आगमन पर भाजपा प्रदेश ने विभिन्न समाजों को स्वागत करने के लिए आमंत्रित किया था।

इन समाजों द्वारा लिंक रोड़ नम्बर एक से भाजपा कार्यालय तक सड़क किनारे बड़े-बड़े मंच बनाए गए जहाॅ सैकड़ो कार्यकर्ता हाथों में गुलदस्ते मालाए और पुष्प् लिए दो घंटे तक प्रतिक्षा करते रहे।

अमित शाह जैसे ही साढ़े दस बजे इस मार्ग सं गुजरे स्वागत को आतुर यह समाज सड़कों पर उनके स्वागत के लिए उतर आए और उनकी गाड़ी के सामने स्वागत करने पहुचे लेकिन अफसौस इस बात का है कि अमित शाह अपनी गाड़ी में बंद कांचों के भीतर बैठे रहे उन्होनें अपनी गाड़ी का शीशा तक नहीं उतारा और हजारों रूपए के हार फूल सड़को पर ही बरबाद हो गए।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले दिनों घोषणा कर चुके है कि स्वागत समारोह में हार फूल पुष्प का उपयोग नहीं किया जाएगा किन्तु उसके उलट किया गया जो गले गले में पहनाना था वह हारों की दुर्दशा सड़को पर देखने को मिली और समाज के जनप्रतिनिधियों को स्वागत बिना निराश लौटना पड़ा।

मदमस्त हाथी की तरह अमित शाह का भोपाल आगमन एक नई इवारत लिख कर चला गया है। जो भाजपा के लिए निराशा जनक है।

शाह के आने के पहले आडवाणी का नाम हटाया....!!!

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के भोपाल आने से कुछ घंटे पहले प्रदेश भाजपा कार्यालय में लगी पार्टी के वरिष्ठ लालकृष्ण आडवाणी के नाम की पट्टिका उखाड़ दी गई है। आड़वाणी प्रदेश कार्यालय का उद्घाटन किया था तब यह पट्टिका लगाई गई थी। अभी यह नहीं पता कि यह पट्टिका किसके कहने पर उखाडी गई है।

यह कैसा स्वागत....??
अमित शाह के स्वागत में भोपाल में हजारों कार्यकर्ता सडकों पर उतरे...सौ से अधिक स्वागत मंच बनाए गए....लेकिन पूरे रास्ते शाह ने मुस्कुराना तो छोडिए....अपनी कार का शीशा तक नहीं उतारा। उनके इस व्यवहार से कार्यकर्ता और विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों को निराशा हुई जो घंटों उनके स्वागत के लिए पलक पांवड़े बिछाए खड़े थे।
अब देश नहीं...नेता भी बदल रहे हैं !!!



थाने में बैठकर रिश्वत लेते दरोगा का वीडियो वायरल



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आगरा के मलपुरा थाने में तैनात दरोगा सारदेव यादव को रिश्वत लेने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। वह किसान से रिश्वत लेते कैमरे में कैद हो गया था। इसका वीडियो वायरल होने पर एसएसपी दिनेश चंद दुबे ने कार्रवाई की है।

मोबाइल से बनाए गए वीडियो में वह थाने में सबके सामने बेखौफ होकर मेज के ऊपर से रिश्वत लेता साफ नजर आ रहा है। मामले की जांच एसपी पश्चिम अखिलेश नारायण को सौंपी गई है। दरोगा पर केस दर्ज हो सकता है।

पुलिस सूत्रों ने वीडियो देखने के बाद बताया कि इसमें कराहरा गांव के किसान जयपाल और उनका भतीजा बसंता नजर आ रहे हैं। दोनों में कहासुनी होने पर बुधवार की रात थाने आए थे। पुलिस ने कार्रवाई नहीं की तो लौट गए। इसके बाद रात में भी उनके बीच लाठी-डंडे चले। इसकी सूचना पर पुलिस ने दोनों पक्षों को थाने बुला लिया।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि दरोगा सारदेव यादव ने उन्हें जेल भेजने की धमकी दी। इस पर दोनों डर गए। उनसे कहा गया कि अगर खर्चे-पानी का इंतजाम कर लें, तो जेल जाने से बच सकते हैं। इस पर दोनों ने राजीनामा लिखकर दे दिया। गुरुवार सुबह सारदेव यादव ने उनसे 12 हजार रुपये लिए। इसके बाद उन्हें छोड़ दिया। पैसे लेते समय किसी ने मोबाइल से वीडियो बना ली।

12 हजार से एक कम नहीं लूंगा
रिश्वत
वीडियो में नजर आ रहा है कि सारदेव यादव कुर्सी पर बैठा बात कर रहा है। पास में जयपाल खड़ा है। सारदेव कुछ बोल रहा है। जयपाल ने जेब से गुलाबी रंग के नोट निकाले। पुलिस सूत्रों का कहना है कि पहली बार में उसने दो-दो हजार के पांच नोट यानी कुल दस हजार दिए। इस पर सारदेव ने बड़ी तेजी से पूरी रकम मेज पर रखे रजिस्टर के नीचे रख ली।

उसने पूछा कि पूरे 12 हैं न। जयपाल ने जवाब दिया, नहीं दस हैं। इस पर सारदेव नाराज हो गया। उसका आशय यह था कि वह 12 हजार से एक रुपया कम नहीं लेगा। जयपाल ने तुरंत दो हजार और दे दिए। सारदेव ने इन्हें भी रजिस्टर के नीचे रख दिया। इसके बाद रजिस्टर में रखे समझौतानामा की कॉपी उन्हें दे दी और कह दिया, जाओ, अब लड़ना मत।

मामले में एसपी पश्चिम अखिलेश नारायण ने बताया कि वायरल वीडियो में दरोगा सारदेव यादव रिश्वत लेता नजर आ रहा है। इसी आधार पर उसे निलंबित कर दिया गया है। मामले की जांच की जा रही है।  

वाह रे सरकार: पक्के रिश्वतखोर को उत्कृष्ट कार्य का इनाम!



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सरकारें अजब काम करती हैं. कुछ दिन पहले ही जिस अधिकारी को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था उसे ही सरकार की तरफ से सम्मान दे दिया गया. मामला राजस्थान का है जहां के नगर पालिका कोटपूतली में जिस वरिष्ठ लिपिक को एसीबी ने एक साल पहले रिश्वत लेने के आरोप में रंगे हाथों धरा था, उस वरिष्ठ लिपिक बाबूलाल धोबी को तहसील मुख्यालय पर आयोजित स्वतंत्रता समारोह में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया.

एसीबी का दावा-ठोस सबूत हैं

पालिका बोर्ड ने बाबूलाल के खिलाफ कोर्ट में केस चलाने के लिए भी अभियोजन स्वीकृति देने से इंकार कर दिया है, जबकि एसीबी के एडिशनल एसपी नरोत्तम वर्मा का दावा है कि बाबूलाल के खिलाफ रिश्वत लेने के ठोस सबूत थे. बाबूलाल को एसडीएम सुरेश चौधरी और विधायक राजेन्द्र यादव ने प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया.
15 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा गया था

सम्मानित होने वाले लोगों और सरकारी कर्मचारी-अफसरों की सूची एसडीएम कार्यालय में ही बनती है. इसके लिए पालिका और अन्य विभागों से प्रस्ताव आते हैं. 23 अगस्त 2016 को एसीबी ने बिल पास करने की एवज में 15 हजार रुपए की रिश्वत लेते बाबूलाल धोबी को पकड़ा था.
ठेकेदार से ली थी रिश्वत, चौथी बार में पकड़ में आया था

ठेकेदार ने पालिका में स्ट्रीट लाइट का काम किया. इस कार्य के 63 हजार रुपए के बिल पेंडिंग थे. ठेकेदार से बाबूलाल धोबी बिल पास करने की एवज में रिश्वत मांग रहा था. पीड़ित ने एसीबी में शिकायत की. सत्यापन करके एसीबी की टीम ने अलग-अलग समय बाबूलाल को पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन वह ऐनवक्त पर रिश्वत लेने से मना कर देता था. इसके बाद बाबूलाल धोबी को एसीबी ने चौथी दफा में बिल पास करने की एवज में 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथों गिरफ्तार किया था.

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